Navratri

नवरात्रि: आस्था, परंपरा और वैज्ञानिक महत्व

ओम सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।

रात का गहरा अंधकार धीरे-धीरे समाप्त हो रहा था। पूर्व दिशा में उषा की लालिमा फैलने लगी थी। हिमालय की पवित्र वादियों में एक वृद्ध ऋषि अपनी साधना से उठकर मुस्कुराए और अपने शिष्यों से बोले,

"क्या तुम जानते हो, नवरात्रि का रहस्य क्या है?"

शिष्यों ने जिज्ञासा भरी आँखों से अपने गुरु की ओर देखा। ऋषि ने एक गहरी सांस ली और बोले—

"यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि की प्रक्रिया है। जब-जब अधर्म बढ़ा, तब-तब शक्ति का अवतरण हुआ। माँ दुर्गा केवल एक देवी नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की चैतन्य शक्ति हैं, जो हर जीव में विद्यमान हैं।"

नवरात्रि का रहस्य

कहते हैं कि जब राक्षसों का आतंक बढ़ा और धरती त्राहि-त्राहि करने लगी, तब देवताओं ने महादेव की शरण ली। भगवान शिव ने ध्यान लगाया और साक्षात् आदि शक्ति को आह्वान किया। तभी एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ—दस भुजाओं वाली, सिंह पर आरूढ़ माँ दुर्गा प्रकट हुईं।

देवताओं ने उन्हें नमन किया और प्रार्थना की—

"हे माँ! अब केवल आप ही इस संसार को अधर्म से मुक्त कर सकती हैं।"

माँ ने मुस्कुराकर कहा,

"अधर्म का नाश केवल बाहरी युद्ध से नहीं होता, यह तो मन के भीतर भी एक यात्रा है। मैं नौ रूपों में अवतरित होकर इस जगत को सत्य, प्रेम और शक्ति का संदेश दूँगी।"

नौ दिनों का दिव्य महत्व

ऋषि ने शिष्यों को समझाया—

"हर नवरात्रि, माँ दुर्गा के नौ रूपों की साधना का समय है। यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का पर्व है।"

1. शैलपुत्री – पहला दिन आत्मबल और दृढ़ता का प्रतीक है।

2. ब्रह्मचारिणी – ज्ञान और तपस्या की साधना।

3. चंद्रघंटा – आंतरिक शांति और वीरता का जागरण।

4. कूष्मांडा – सृजन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार।

5. स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा का प्रतीक।

6. कात्यायनी – साहस और दृढ़ संकल्प की देवी।

7. कालरात्रि – भय से मुक्ति और आध्यात्मिक जागरण।

8. महागौरी – आत्मशुद्धि और मोक्ष की ओर बढ़ने का दिन।

9. सिद्धिदात्री – सिद्धि और पूर्णता प्राप्त करने का समय।

नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

शिष्य अब ध्यान से सुन रहे थे। ऋषि ने आगे कहा—

"नवरात्रि केवल भक्ति का पर्व नहीं, यह ऋतु परिवर्तन का भी संदेश देता है। इस समय व्रत और उपवास से शरीर शुद्ध होता है, सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, और वातावरण में संतुलन स्थापित होता है।"

"यह त्यौहार केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। उत्तर में रामलीला, पूर्व में दुर्गा पूजा, पश्चिम में गरबा-डांडिया और दक्षिण में चामुंडेश्वरी देवी की आराधना, यह सब माँ की महिमा का ही विस्तार है।"

शिष्यों ने सिर झुकाया और बोले,

"गुरुदेव, हमने आज नवरात्रि के बाहरी और भीतरी अर्थ को समझ लिया। यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा को जाग्रत करने की प्रक्रिया है।"

ऋषि मुस्कुराए और बोले—

"यही नवरात्रि का सबसे बड़ा रहस्य है—शक्ति की साधना और आत्मजागरण!"

जैसे ही सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ी, वातावरण में मंत्र गूंज उठा—

"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः!"



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